PM फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव: अब देरी होने पर बीमा कंपनियां देंगी 12% ब्याज. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के हित में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अक्सर देखा जाता था कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़ या कीटों के हमले से फसल बर्बाद होने के बाद भी बीमा कंपनियां क्लेम देने में काफी समय लगाती थीं। किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए अब कड़े नियम बनाए गए हैं, ताकि उन्हें उनके नुकसान का उचित मुआवजा समय पर मिल सके।
सरकार ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी किसान की फसल का नुकसान होता है और उसका क्लेम सेटल हो जाता है, तो बीमा कंपनी को 21 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य होगा। यदि बीमा कंपनियां क्लेम सेटल होने के 21 दिनों के बाद एक दिन की भी देरी करती हैं, तो उन्हें किसान को 12% की दर से ब्याज देना होगा। इस कदम का उद्देश्य बीमा कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाना और किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
वीडियो में दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार किसानों की लागत कम करने के लिए किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के माध्यम से निरंतर प्रयास कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में अकेले राजस्थान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत लगभग 19,000 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। यह दर्शाता है कि सरकार संकट के समय में किसानों के साथ खड़ी है और यह सुनिश्चित कर रही है कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का बोझ किसानों पर न पड़े।
कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि फसल बीमा योजना में जो भी कमियां थीं, उन्हें प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में दूर किया जा रहा है। अब किसानों को अपने क्लेम के लिए महीनों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और न ही बीमा कंपनियों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। नियमबद्ध और समयबद्ध भुगतान की व्यवस्था से किसानों का व्यवस्था पर भरोसा बढ़ेगा और वे अधिक निडर होकर खेती कर सकेंगे।
अंत में, यह बदलाव कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। यह न केवल किसानों को समय पर आर्थिक मदद सुनिश्चित करेगा, बल्कि बीमा कंपनियों को भी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने के लिए मजबूर करेगा। अब किसान का पैसा कोई भी कंपनी अपने पास दबाकर नहीं रख सकेगी, और देरी की स्थिति में मिलने वाला ब्याज किसानों के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा कवच का काम करेगा।