१. २०२६ में १३ महीनों का संयोग:
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल २०२६ सामान्य ही रहेगा, लेकिन हिंदू पंचांग (विक्रम संवत) के अनुसार यह साल १२ के बजाय १३ महीनों का होने वाला है। इसका अर्थ है कि २०२६ में भक्तों को भक्ति और पूजा-पाठ के लिए एक अतिरिक्त महीना मिलेगा।
२. ज्येष्ठ महीना होगा ‘अधिक मास’:
साल २०२६ में ज्येष्ठ महीना ‘अधिक मास’ के रूप में आएगा। सामान्यतः एक महीना ३० दिनों का होता है, लेकिन अधिक मास के कारण ज्येष्ठ का महीना लगभग ५९ दिनों का होगा। इसकी शुरुआत १७ मई २०२६ से होगी और यह १५ जून २०२६ तक ‘अधिक ज्येष्ठ मास’ के रूप में रहेगा। इसके बाद ‘शुद्ध ज्येष्ठ मास’ शुरू होगा जो २९ जून तक चलेगा।
३. क्यों आता है अधिक मास? (वैज्ञानिक कारण):
खगोलीय गणना के अनुसार, सौर वर्ष ३६५ दिन और ६ घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष ३५४ दिनों का होता है। इन दोनों के बीच हर साल लगभग ११ दिनों का अंतर आता है। इस अंतर को पाटकर ऋतुओं और तिथियों का संतुलन बनाए रखने के लिए हर ३२ महीने और १६ दिन के बाद पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है, जिसे ‘अधिक मास’ या ‘मलमास’ कहा जाता है।
४. ‘पुरुषोत्तम मास’ का धार्मिक महत्व:
इस महीने को भगवान विष्णु का ‘पुरुषोत्तम मास’ भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इसे सबसे श्रेष्ठ और पवित्र महीनों में से एक माना गया है। इस दौरान दान-पुण्य, व्रत, तीर्थ यात्रा, श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ और अक्षय फल देने वाला माना जाता है।
५. क्या करें और क्या न करें?:
अधिक मास आध्यात्मिक कार्यों के लिए तो उत्तम है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस महीने में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इस दौरान विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत (जनेऊ), गृह प्रवेश या नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे संस्कार वर्जित माने गए हैं। यह पूरा महीना केवल ईश्वर की आराधना और आत्म-शुद्धि के लिए समर्पित होता है।