ला-नीना और भारतीय मानसून पर इसका प्रभाव: स्काईमेट वेदर की विशेष रिपोर्ट. प्रशांत महासागर में बनने वाली मौसमी स्थितियों जैसे ला-नीना, अल-नीनो और न्यूट्रल कंडीशन का भारतीय मानसून पर सीधा असर पड़ता है। वर्तमान स्थितियों के अनुसार, ला-नीना बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आमतौर पर ला-नीना की स्थिति भारत के लिए अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इससे मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है। वीडियो में बताया गया है कि प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से (नीनो 3.4 इंडेक्स) में जब समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे गिर जाता है, तो उसे ला-नीना घोषित किया जाता है।
ला-नीना की स्थिति में व्यापारिक पवनें (Trade Winds) मजबूत हो जाती हैं, जिससे गर्म पानी इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया के आसपास जमा हो जाता है। गर्म समुद्र की वजह से अधिक बादल बनते हैं, जिसका सीधा फायदा भारतीय मानसून और दक्षिण-पूर्वी एशिया को मिलता है। इसके विपरीत, अल-नीनो में समुद्र का तापमान बढ़ जाता है और बारिश कम होती है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के अंत तक समुद्री सतह का तापमान -0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है, जो यह दर्शाता है कि ला-नीना लगभग बन चुका है।
हालांकि, इस बार बनने वाला ला-नीना बहुत अधिक शक्तिशाली नहीं होगा। अनुमान है कि यह केवल नवंबर, दिसंबर और जनवरी तक ही सक्रिय रहेगा। इसके बाद स्थितियां फिर से ‘न्यूट्रल’ (तटस्थ) होने की संभावना है। न्यूट्रल कंडीशन का अर्थ है कि तापमान न तो बहुत अधिक रहेगा और न ही बहुत कम। मानसून 2026 के दृष्टिकोण से देखें तो जून से सितंबर के दौरान अल-नीनो बनने की संभावना केवल 30% से कम है, जो एक सकारात्मक संकेत है। मानसून के समय न्यूट्रल कंडीशन ही हावी रहने की उम्मीद है।
सोशल मीडिया पर चल रही उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है जिनमें कहा जा रहा है कि ला-नीना के कारण इस बार भीषण और कड़ाके की ठंड पड़ेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि यह ला-नीना काफी कमजोर है और केवल कुछ महीनों के लिए ही सक्रिय रहेगा, इसलिए सर्दी पर इसका कोई असाधारण प्रभाव नहीं पड़ेगा। कड़ाके की ठंड की संभावना बहुत कम है, इसलिए लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। मौसम विभाग और स्काईमेट जैसी एजेंसियां लगातार इन समुद्री तापमानों और वायुमंडलीय दबावों (जैसे SOI इंडेक्स) की निगरानी कर रही हैं।
अंत में, स्काईमेट का सुझाव है कि लोग केवल अधिकृत स्रोतों और मौसम विशेषज्ञों की दी गई जानकारियों पर ही भरोसा करें। मानसून 2026 के सटीक पूर्वानुमान के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है। जैसे-जैसे वैश्विक मॉडल और नए आंकड़े सामने आएंगे, मौसम की स्थिति और स्पष्ट होती जाएगी। फिलहाल की स्थिति यह है कि ला-नीना कमजोर रहेगा और अल-नीनो की अनुपस्थिति के कारण मानसून के खराब होने का खतरा काफी कम है।