गेहूं में पीलापन: कारण और प्रभावी उपाय.
गेहूं की फसल में पीलापन आना, फुटाव कम होना और बढ़वार रुकना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके मुख्य रूप से तीन बड़े कारण होते हैं। पहला कारण जड़ों में बीमारी होना है, जैसे कि निमाटोड, दीमक या जड़माऊ का लगना। निमाटोड होने पर जड़ों में गांठें बन जाती हैं, जिससे पौधा पोषक तत्व नहीं ले पाता। इसके उपचार के लिए कार्बोफुरान का उपयोग मिट्टी या गोबर की खाद के साथ मिलाकर पानी के समय करना चाहिए। यदि दीमक या जड़माऊ की समस्या है, तो क्लोरोपायरीफोस या इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग प्रभावी रहता है।
दूसरा प्रमुख कारण पोषक तत्वों की कमी है। नाइट्रोजन (यूरिया) की कमी होने पर पुरानी और निचली पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। इसके लिए प्रति एकड़ एक बैग यूरिया का इस्तेमाल करें या यूरिया का स्प्रे करें। जिंक और सल्फर की कमी से नई पत्तियों में पीलापन और लोहे (आयरन) की कमी से पत्तियों के ऊपरी हिस्से का सफेद होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जिंक सल्फेट के प्रयोग से जिंक और सल्फर दोनों की पूर्ति की जा सकती है, जिससे पौधे में हरापन वापस आता है।
मैग्नीशियम और आयरन की कमी भी गेहूं को पीला बना देती है। मैग्नीशियम की कमी में पत्तियों की नसें हरी रहती हैं लेकिन बीच का हिस्सा पीला हो जाता है, जिसके लिए मैग्नीशियम सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए। वहीं, आयरन की कमी होने पर नई पत्तियां पीली होकर सफेद होने लगती हैं। ऐसे में फेरस सल्फेट का स्प्रे करना फायदेमंद होता है। इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की सही समय पर पहचान और आपूर्ति फसल की अच्छी बढ़वार के लिए अनिवार्य है।
तीसरा कारण खरपतवार नाशक दवाओं का दुष्प्रभाव हो सकता है। कभी-कभी घास मारने वाली दवाओं के छिड़काव से फसल को झटका लगता है और वह पीली पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में या जड़ों की बीमारी के कारण जब पौधा जमीन से खाद नहीं उठा पाता, तब ऊपरी स्प्रे (Foliar Spray) सबसे अच्छा समाधान है।
तुरंत राहत के लिए एक रामबाण स्प्रे का सुझाव दिया गया है। इसमें 1 किलो यूरिया, 100 ग्राम चिलेटेड जिंक, 500 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट और 300 ग्राम फेरस सल्फेट को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इस स्प्रे का परिणाम 2 से 3 दिनों में दिखने लगता है, जिससे पीलापन दूर होता है और गेहूं में तेजी से फुटाव और बढ़वार शुरू हो जाती है।