बढ़ती महंगाई और खेती की लागत को देखते हुए बैंकों का बड़ा फैसला; गन्ना किसानों को भी मिलेगा विशेष लाभ
देश और राज्य के किसानों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। खेती में लगने वाली सामग्री जैसे खाद, बीज, कीटनाशक और मजदूरी की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीयकृत बैंकों (Nationalized Banks) ने फसल ऋण (Crop Loan) की सीमा में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। बढ़ती महंगाई के कारण किसान आर्थिक दबाव में थे, जिसे देखते हुए बैंकों ने प्रति हेक्टेयर ऋण की राशि को संशोधित किया है। इस फैसले का सबसे अधिक लाभ उन छोटे और मध्यम किसानों को होगा, जो अपनी खेती की मशागत और रखरखाव के लिए बैंकों पर निर्भर रहते हैं।
ऋण सीमा में कितनी हुई बढ़ोतरी?
नए नियमों के अनुसार, राष्ट्रीयकृत बैंकों ने फसल ऋण की मर्यादा में प्रति हेक्टेयर लगभग 35,000 रुपये की वृद्धि की है। पहले यह सीमा 1 लाख 10 हजार रुपये के आसपास हुआ करती थी, जिसे अब बढ़ाकर 1 लाख 45 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। ‘नाबार्ड’ (NABARD) और जिला स्तरीय तकनीकी समिति (DLTC) ने खेती की उत्पादन लागत का गहन अध्ययन करने के बाद इस वृद्धि को मंजूरी दी है। इस वृद्धि का मुख्य उद्देश्य किसानों को निजी साहूकारों के चंगुल से बचाना और उन्हें संस्थागत ऋण के माध्यम से आर्थिक संबल प्रदान करना है।
गन्ना उत्पादक किसानों के लिए विशेष प्रावधान
इस निर्णय का एक बड़ा हिस्सा गन्ना किसानों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि गन्ने की फसल का उत्पादन चक्र लंबा और खर्चीला होता है। नए प्रावधानों के अनुसार:
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गन्ना बुवाई (Planting): अब गन्ना बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 1.50 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
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गन्ना पेड़ी (Ratoon): गन्ना पेड़ी की फसल के लिए भी ऋण राशि में आनुपातिक बढ़ोतरी की गई है। गन्ना बेल्ट के किसानों के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों का यह रुख सहकारी बैंकों के समान ही मददगार साबित होगा।
बिना गारंटी (Collateral-free) ऋण की सीमा में भी वृद्धि
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशों के अनुसार, अब बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे मिलने वाले कृषि ऋण की सीमा को भी 1.60 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि अब 2 लाख रुपये तक के कर्ज के लिए किसानों को अपनी जमीन के दस्तावेज गिरवी रखने या किसी बड़ी गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगा, जिससे उन्हें बैंक से वित्तीय सहायता लेने में आसानी होगी।
आवश्यक दस्तावेज और प्रक्रिया
ऋण का लाभ उठाने के लिए किसानों को कुछ बुनियादी कागजी कार्रवाई पूरी करनी होगी:
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नवीनतम खतौनी (7/12) और जोत प्रमाण पत्र (8-A)।
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आधार कार्ड और पैन कार्ड की फोटोकॉपी।
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किसी अन्य बैंक का बकाया न होने का प्रमाण पत्र (No Dues Certificate)। बैंकों ने अपील की है कि किसान समय पर अपने ऋण का नवीनीकरण (Renewal) कराएं ताकि वे सरकार की ब्याज छूट योजना (Interest Subvention Scheme) का निरंतर लाभ उठा सकें।